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जीवन ऐसा हो की ड्राइंग रूम में बैठकर __हंसो और बेडरूम में बैठकर खिल खिलाओ : अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागरजी मुरादनगर-औरगाबाद। पियुष कासलीवाल नरेंद्र अजमेरा पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता आचार्य पुष्टंत सागर जी महाराज के उपवन सुगधीत पुष्य भारत गौरव अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी गुरुदेव एवम पियुष सागर जी गुरदेव का 2020 का चातुर्मास ऐतिहासिक नगरी मुराटनगर हो रहा है इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहाँ की जीवन में दुख आए संकट आए तो ध्यान रखना सहन करनासंघर्षों का मुकाबला साहस पूर्वक करन जब संघर्षों की आंधी चल रही हो तब भी विश्वास के टीए जलाए रखना। संकट की घड़ी में धन लो प्रभु से लगा कर रखन। दख को भी प्रभ का प्रसाद मानकर सहज स्वीकार कर लेना और प्रभु से हाथ जोड़कर कहना-जो भी दे दे मालिक तू करले कबूल कभी-कभी कांटों में खिलते हैं लि। अगर यह सोच लो तो जीवन के आधे दख यूं ही खत्म हो जाएंगे। तुम्हारी आंखों में सो जो संसार की खुमारी है उस खुमारी को खत्म कर दो। और एक आदर्श जीवन राम सीता की तरह जी कर टुनिया को बताओ राम और सीता जंगल में रहते थे लेकिन वह जंगल में भी प्रसन्न थे और तुम कोठियों में रहकर भी पसंद नहीं हो। तुम्हारी हालत यह है कि ड्राइंग रूम में बैठकर तुम हंसते हो और बेडरूम में जाकर रोते हो। यह तुम्हारे जीवन की असलियत है मैं चाहता हूं- तुम्हारा जीवन ऐसा हो की ड्राइंग रूम में बैठकर हसो और बेडरूम में बैठकर खिल खिलाओ।


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